All About Breaking News: बिना किसी योग्यता के बनाए जा रहे इंजीनियर, भा. रे. का भगवान ही मालिक है..

Monday 17 November 2014

बिना किसी योग्यता के बनाए जा रहे इंजीनियर, भा. रे. का भगवान ही मालिक है..


ऐसी स्थिति में ट्रेन ट्रेक पर भगवान भरोसे ही चलती रहेगी, लेकिन इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी / कमेटी ने इसको भी दरकिनार करने के लिए एक अलग नियम बना दिया. तभी तो एक नियम विरुद्ध निर्णय के तहत सभी रेल पथ सुपरवाइजर को दि. 08.10.2008 से जेई बनाते हुए 01.11.2013 से सीनियर सेक्शन इंजीनियर बना दिया गया है. लेकिन इस जेई पद पर कार्य के अनुभव और कम से कम 3 साल के दैनिक जिम्मेदारी के जमीनी अनुभव और अन्य तकनीकी योग्यता तथा ट्रेनिग कोर्स की आवश्यकता का मापदंड तय नहीं किया गया है. पदोनती देते हुए रेलवे हित और अनावश्यक रूप से प्रभारी सीनियर सेक्शन इंजीनियर के ऊपर आने वाले अतिरिक्त कार्यभार के बारे में भी नहीं सोचा गया है. इसी तरह जेई में डाइरेक्ट आरआरबी से भर्ती होता है और 12 महीने की ट्रेनिंग के बाद पद पर पोस्टिंग होती है. कुछ डिपार्टमेंटल सेलेक्सन प्रोसीजर के बाद जेई-2 से पदोन्नत होकर जेई-1 बनाया जाता था. अब यह दोनों पद पांचवें वेतन आयोग में मर्ज हो जाने के बाद एक हो गए हैं.

फिर जेई पद पर 1997 से सितंबर 2008 तक सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद पर बैक डेट से पदोन्नति क्यों नहीं दी गई अथवा कमेटी ने इस पर विचार क्यों नहीं किया? इसी तरह पहले सेक्शन इंजीनियर के पद पर नियुक्ति होती थी, जिसे अब सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद में मर्ज कर दिया गया है, तो अब उनकी अगली पदोन्नति किस पद पर होगी, इस पर अधिकारियों या कमेटी ने अथवा रेल मंत्रालय ने विचार क्यों नहीं किया? एक गैर-तकनीकी इंटरमीडियट या मैट्रिक पास को जेई और सीनियर सेक्शन इंजीनियर बनाने के लिए नीति निर्धारित करते समय सभी माप दंड और नियमों को दरकिनार कर दिया गया, तो यह तय करना चाहिए था कि अब भारतीय रेल में डाइरेक्ट जेई होने के बाद भी उन्हें मात्र एक ही पदोन्नति मिलेगी और सीनियर सेक्शन इंजीनियर अब कोई भी पदोन्नति पाने हकदार नहीं होंगे.

तब देखें कि भारतीय रेल में इंजीनियरिंग डिग्री या डिप्लोमाधारी कितने लोग सर्विस ज्वाइन करते हैं. रेलमंत्री और प्रधानमंत्री को अबिलम्ब इन सभी पहलुओं पर ध्यान देते हुए पद में सीनियर/जूनियर का अंतर लाना चाहिए, वरना आने वाले दिनों में रेलवे का ट्रैक मेंटेनेंस और निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा. चूंकि पद का अंतर भी तो समाप्त हो रहा है. ग्रेड पे 4600 और ग्रेड पे 4800 दोनों ही सीनियर सेक्शन इंजीनियर हैं, फिर रेल को फायदा क्या है, क्या किसी ने इस बारे में सोचा है? केंद्रीय कैबिनेट में सभी कैबिनेट मिनिस्टर ही बना दिए जाएं, तो देश किस तरह चलेगा? उसी तरह बिना आवश्यक तकनीकी योग्यता के ही रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के सभी कर्मचारियों को सेक्शन इंजीनियर और सीनियर सेक्शन इंजीनियर बना दिया जाए, तो भारतीय रेल का भगवन ही मालिक है.

जबकि रेलवे में अक्षरशः ऐसा हो चुका है और अभी भी हो रहा है. रेलवे के अधिकारी को 3-5-10 साल में निश्चित पदोन्नति होना सुनिश्चित कर रखा गया है और इसके लिए अलग-अलग पदों का सृजन किया जाता है, लेकिन अधीनस्थ जेई/एसई और एसएसई उसी पद पर सेवानिवृत्त हो रहा है. इस भ्रष्ट व्यवस्था के चलते वह तंग आकर डायबेटिक हार्ट अटैक और हाई बीपी का मरीज हो रहा है. उससे 8 घंटे के बजाय 18 से 20 घंटा ड्यूटी ली जा रही है. इमरजेंसी के नाम पर मुख्यालय में ही उसे घंटों बैठे रखा जा रहा है. लेकिन इन सबके बदले उसे कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं दिया जा रहा है.

इसके अलावा यदि कोई अधिकारी सामंतवादी सोच का आ गया, तो उनके पूरे परिवार को भी उसकी सेवा में लग्न पड़ रहा है. गैंग स्टाफ, जिसे रेलवे ट्रैक पर कार्य करना होता है, को ऐसे अधिकारियों के आदेश पर उन्हें उनके बंगले पर ड्यूटी पर लगाना होता है. जबकि उनके बंगले पर आए दिन होने वाली घरेलू पार्टियों में मेहमानों से उनका परिचय नौकर के रूप में करवाते हुए उनसे कार्य करवाया जाता है. ऐसी स्थित में अब आगे इनका भविष्य नए रेलमंत्री और प्रधानमंत्री को तय करना है.

Ref:
Suresh Tripathi, Editor,
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